शंकरदेव
कवी, नाटककार, गायक, नर्तक, समाजसंयोजक, आनी हिंदू समाजसुदारक
श्रीमंत शंकरदेव ( असमिया : শ্ৰীমন্ত শংকৰদেৱ) हो आसामी भाशेचो एक बरोच नामनेचो कवी, नाटककार, गायक, नर्तक, समाजसंयोजक, आनी हिंदू समाजसुदारक आशिल्लो . नववैष्णव वा एकशरण धर्माचो प्रचार करून ताणें आसामी जिवीत एकठांय करून घटमूट केलें .
रचनां
बदलशंकरदेवान रचिल्ली पयली कविता अशी आसा:-
- करतल कमल कमल दल नयन।
- भबदब दहन गहन बन शयन॥
- नपर नपर पर सतरत गमय।
- सभय मभय भय ममहर सततय॥
- खरतर बरशर हत दश बदन।
- खगचर नगधर फनधर शयन॥
- जगदघ मपहर भवभय तरण।
- परपद लय कर कमलज नयन॥
काव्य
बदल- हरिश्चन्द्र उपाख्यान
- अजामिल उपाख्यान
- रुक्मिणी हरण काव्य
- बलिछलन
- अमृत मन्थन
- गजेन्द्र उपाख्यान
- कुरुक्षेत्र
- गोपी-उद्धव संवाद
- कृष्ण प्रयाण - पाण्डव निर्वारण
भक्तितत्त्व प्रकाशक ग्रन्थ
बदल- भक्ति प्रदीप
- भक्ति रत्नाकर (संस्कृत)
- निमि-नव-सिद्ध संवाद
- अनादि पातन
अनुवादमूलक ग्रन्थ
बदल- भागवत प्रथम, द्वितीय
- दशम स्कन्धर आदिछोवा
- द्बादश स्कन्ध
- रामायणर उत्तरकाण्ड
नाटक
बदल- पत्नी प्रसाद
- कालिय दमन
- केलि गोपाल
- रुक्मिणी हरण
- पारिजात हरण
- राम विजय
गीतः
बदल- बरगीत[1]
- भटिमा (देवभटिमा, नाटभटिमा, राजभटिमा)
- टोटय
- चपय
नाम-प्रसंग ग्रन्थ
बदल- कीर्तन घोषा
- गुणमाला
- हरिश्चन्द्र उपाख्यान
- भक्ति प्रदीप
- अनादि पतन
- अजामिल उपाख्यान
- अमृत मन्थन
- बलि छलन
- आदि दशम
- कुरुक्षेत्र
- निमि-नव-सिद्ध संवाद
- उत्तरकाण्ड रामायण (अनुवाद)
- पत्नीप्रसाद, कालिय दमन यात्रा, केलि गोपाल, रुक्मिणी हरण, पारिजात हरण, राम विजय आदि नाटक
- भक्तिरत्नाकर (संस्कृत)